Hindi Poetry, Ke Dekhe Saara Jahan

Very Nice Hindi Poetry

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मेरी लेखनी ने मुझको, चुपके से यूँ कहा,
तू लिख कुछ ऐसा की, देखे सारा जहाँ।

पक्षियों के कलरव ने, भोर में सिखा दिया,
तू जाग नींद से कुछ ऐसे की, देखे सारा जहाँ।

कोयल की कुहू कुहू ने, गीत में सुना दिया,
तू राग ऐसे छेड़ कुछ ऐसा की, देखे सारा जहाँ।

फिरते हों मदमस्त भँवरे, लिए संग में तितलियाँ,
तू ऐसा उपवन संवार दे की, देखे सारा जहाँ।

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झूमकर बादल भी, खेलता है अठखेलियाँ,
तू प्यास ऐसे बुझा दे की, देखे सारा जहाँ।

नदियों ने दिल खोलकर, बाहें हैं फैलाई,
तू सागर बनकर समेट ले की, देखे सारा जहाँ।

आकाश ने भी रात को, तारों की चुनर ओढाई,
तू चाँद बनकर निखार दे, की देखे सारा जहाँ।

औंस की बूंदों में लिपटी हुई, भोर चली आई,
तू रोशनी बनकर निहार ले की, देखे सारा जहाँ।

आओ वीरा, तुम्हें मैं प्रकृति सा श्रृंगार सिखाऊं,
तू लेखनी से उतार दे की, देखे सारा जहाँ।

-Poonam Agarwal 'Veera'

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Sad Hindi Poetry, Ahsaan Jatane Mat Aana

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