Deshbhakti Hindi Shayari, SarHad Tumhein Pukaare

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सरहद तुम्हें पुकारे तुम्हें आना ही होगा
कर्ज अपनी मिट्टी का चुकाना ही होगा,
दे करके कुर्बानी अपने जिस्मो-जां की
तुम्हे मिटना भी होगा मिटाना भी होगा।

मुझे न तन चाहिए, न धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए,
जब तक जिंदा रहूँ, इस मातृ-भूमि के लिए,
और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये।

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Prem Watan Ke Liye Lutaana

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