Sad Hindi Poetry, Ahsaan Jatane Mat Aana

जावेद अख्तर की बेहतरीन गज़ल

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अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना,
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना,
मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं,
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं,
ये हसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना,
प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं,
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं,
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना,
अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई,
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई,
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना.
- जावेद अख़्तर

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